2024 के लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में टिकट की रस्साकशी भी तेज हो गई है। मौजूदा सांसद, पूर्व सांसद, और अन्य नेता टिकट हासिल करने के लिए अपनी-अपनी दमखम दिखा रहे हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच बनाकर, क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाकर, और जुगाड़ फिट करके टिकट हासिल करने की कोशिशें जोरों पर हैं।

मौजूदा सांसदों का दबदबा:

कई मौजूदा सांसद अपनी दावेदारी पक्की मान रहे हैं। उनका तर्क है कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में अच्छा काम किया है और वे जीत का दावा कर सकते हैं।

वे क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाकर, जनता से संपर्क स्थापित कर, और पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

पूर्व सांसदों की वापसी:

कई पूर्व सांसद भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। वे अपनी पिछली जीत का हवाला देकर टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क कर रहे हैं और क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं।

बाहरी दावेदारों की चुनौती:

कुछ बाहरी दावेदार भी टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। वे अपनी सामाजिक और राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर रहे हैं।

वे पार्टी के लिए धन जुटाने और चुनाव प्रचार में मदद करने की पेशकश कर रहे हैं।

जुगाड़ की राजनीति:

टिकट हासिल करने के लिए जुगाड़ की राजनीति भी जोरों पर है।

कुछ नेता पार्टी के शीर्ष नेताओं के करीबी लोगों से संपर्क कर रहे हैं और उनसे सिफारिशें ले रहे हैं।

कुछ नेता चुनाव प्रचार में मदद करने के लिए बड़े पैमाने पर धन खर्च करने की तैयारी कर रहे हैं।

भाजपा के सामने चुनौती:

भाजपा के लिए टिकट वितरण एक बड़ी चुनौती बन गया है।

पार्टी को सभी दावेदारों को संतुष्ट करना होगा और योग्य उम्मीदवारों को टिकट देना होगा।

गलत टिकट वितरण से पार्टी को नुकसान हो सकता है।

निष्कर्ष:

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा में टिकट की रस्साकशी तेज हो गई है।

मौजूदा सांसद, पूर्व सांसद, और अन्य नेता टिकट हासिल करने के लिए अपनी-अपनी दमखम दिखा रहे हैं।

भाजपा के लिए टिकट वितरण एक बड़ी चुनौती बन गया है।

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